tag:blogger.com,1999:blog-8084295400813593374.post6565459045933875207..comments2015-03-05T06:40:19.768-08:00Comments on ****K N O W _ Y O U R S E L F****: मेरी प्यारी प्रकृतिP A R D E E Phttp://www.blogger.com/profile/17817275055393819635noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8084295400813593374.post-75684583261230496372009-12-16T11:09:47.139-08:002009-12-16T11:09:47.139-08:00गतिशील है यह और स्थिर भी दूर है और पास में भी.
यह...गतिशील है यह और स्थिर भी दूर है और पास में भी. <br />यही है इस सब के अन्दर और यही है इस सब के बाहर.. <br />देखता है जो सभी जीवों को जो स्वयं में स्थित. <br />और सभी जीवों में स्वयं को होता है वह द्वेष रहित,<br />होगये हैं सभी प्राणी जिसके लिये आत्मस्वरूप. <br />क्या शोक क्या मोह उसके लिये देखता है जो सर्वत्र एक रूप.. !<br />पहुंचता है वह उस दीप्त, अकाय अनाहत के पास <br />है जो स्नायु रहित, निष्पाप और शुध्द. <br />कवि, मनीषी, निष्पाप और स्वयम्भू <br />कर रहा है अनन्त काल से सब की इच्छायें पूर्ण..!<br />गहन अन्धकार में जाते हैं <br />अविद्या के उपासक. <br />और भी गहन अन्धकार में जाते हैं <br />विद्या के उपासक..!<br />भिन्न है वह विद्या और अविद्या दोनों से. <br />सुना और समझा है यह हमने बुध्दिमानों से,<br />जानता है जो विद्या और अविद्या दोनों को साथ साथ. <br />पार करके मृत्यु को अविद्या से, विद्या से करता अमरत्व को प्राप्त..!<br />भिन्न है वह व्यक्त और अव्यक्त दोनों से. <br />सुना और समझा है यह हमने बुध्दिमानों से.. <br />जानता है जो अस्तित्व और <br />अनस्तित्व को साथ साथ.<br />पार करके मृत्यु को अनस्तित्व से <br />अस्तित्व से करता अमरत्व को प्राप्त,<br />स्वर्णपात्र से ढका है सत्य का मुख. <br />अनावृत करो पूषन मुझ सत्यधर्मा के हेतु,<br />प्रविष्ट हों प्राण जगत्प्राण में भस्म हो जाये यह शरीर. <br />याद करो मन अपने पूर्वकृत कर्म याद करो मन अपने पूर्वकृत कर्म..!<br />अग्नि तुम ले चलो हमें समृध्दि के सुपथ पर <br />ज्ञात हैं सभी पथ तुम विद्वान को.<br />करती हूं तुम्हें मैं बार बार नमस्कार <br />नष्ट कर दो मेरे पूर्व पापों को.. !!!प्रकृति:prakritihttps://www.blogger.com/profile/10174960352515314496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8084295400813593374.post-73908905684656352372009-09-16T10:09:39.274-07:002009-09-16T10:09:39.274-07:00koi kahta hai k moksh milta hai andhere mai tapasy...koi kahta hai k moksh milta hai andhere mai tapasya karne se mai kahto hu khud ko explore karo ...is nature k sare gun hamare bhitar hi hai ...........is nature ko yada kada explore karege to khud ki khud se mulakat bhi ho jayegi .......... nice .bro you are superbAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/10711074114205495463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8084295400813593374.post-72272915363688322822009-09-15T18:57:42.487-07:002009-09-15T18:57:42.487-07:00इस प्यार में मर मिट कर , जुगुनू की तरह वो जीता हें...इस प्यार में मर मिट कर , जुगुनू की तरह वो जीता हें !<br />कौन कहता हें सूरज करता हें रोशन प्रकृति की ,<br />वो खुद ही सिसक सिसक कर जीती हें ,फिर भी जुगुनू की तरह मर मर कर वो हंसती हें !<br />वाह!!!!दीप <br />कितना अद्भुत वर्णन!!!<br />प्यार की विशालता का...त्याग में ही साचा सुख है,<br />तभी तो बंधू !!! मीरा ने मोहन से प्यार किया था ये <br />तुम्हारी बात का सटीक उत्तर है...उसने सत्यता का वरन किया था,इस नश्वर संसार में सत्य परम पुरुष परमेश्वर,जो स्वयं उसमे निवास करे थे उसी से प्यार किया...और निस्वार्थ ...समर्पित थी वो ...मोहन में !!!!!अर्थात अपनी ही आत्मा में..anamicarai.2008@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/18326765974967136734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8084295400813593374.post-3467558399206836932009-09-15T18:28:37.553-07:002009-09-15T18:28:37.553-07:00आकाश का विशाल वैभव,
पृथ्वी की गहरी तरलता,
पौधों मे...आकाश का विशाल वैभव,<br />पृथ्वी की गहरी तरलता,<br />पौधों में सिमटी हरीतिमा,<br />तितलियों की शोख चंचलता,<br />जुगनुओं का जलता-बुझता तिलिस्म,<br />चौंसठ करोड़ देवी-देवताओं के वरदान,<br />सौ करोड़ जनमानस की भावनाएँ,<br />जैसे इतना सब काफ़ी नहीं था,<br /><br />मेरे हाथों में कलम भी थमा दी गई,<br />और कहा गया,<br />कैद करो<br /><br />आकाश, पृथ्वी, पर्वत, तितलियाँ,<br />जुगनू, वेद-पुराण,<br />अतीत, भविष्य, वर्तमान,<br /><br />अब ये सब मिलकर<br />मेरा होना, न होना<br />तय करते हैं।anamicarai.2008@gmail.comhttps://www.blogger.com/profile/18326765974967136734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8084295400813593374.post-5009996407413263102009-04-22T01:34:00.000-07:002009-04-22T01:34:00.000-07:00parkriti ko salam......... parkash ki mahatta ko b...parkriti ko salam......... parkash ki mahatta ko bakhubi bayan kiya aapneeeeeeeeeeeeeAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8084295400813593374.post-76696141677083396052009-04-17T21:36:00.000-07:002009-04-17T21:36:00.000-07:00ah wo khud hi sisak kar jiti hai .............. su...ah wo khud hi sisak kar jiti hai .............. superbAnonymousnoreply@blogger.com